शेयर मार्केट की बेसिक जानकारी
हम सभी लोग शेयर बाजार में पैसा कमाने के लिए निवेश करते हैं लेकिन 90 % से ज्यादा लोग शेयर बाजार में अपना पैसा डुबा देते हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने अपना पूरा पैसा शेयर बाजार में निवेश करके ही बनाया है जैसे; वॉरेन बफेट, राधाकृष्ण दमानी वगैरह। आप भी इन लोगों की तरह पैसा कमाना चाहते हैं तो पहले आप को समझना होगा कि आखिर शेयर मार्केट काम कैसे करता है और कौन सी गलतियां हैं जिनकी वजह से शेयर बाजार में नुकसान होता है।
इस आर्टिकल में मै बताऊगा शेयर मार्केट से जुड़ी हुई कुछ जरुरी जानकारी जिसके बाद आपकी मेहनत की कमाई बर्बाद नहीं होगी इसलिए आर्टिकल को आख़िर तक पूरा जरूर पढ़िए
चलिए शुरू करते हैं
ये होता है शेयर
किसी भी चीज का कोई हिस्सा हो किसी भी बड़ी चीज में से तो वो उसके एक हिस्से को शेयर कहते हैं। अब बात करते हैं जब हम किसी कंपनी का शेयर खरीदते हैं शेयर मार्केट से मान लीजिए किसी कंपनी के पास 100 शेयर थे और हमने 2 शेयर खरीद लिया तो हम उस कंपनी के 2 % के शेयर होल्डर कहलायेंगे।
कंपनी को शेयर की जरूरत इसलिए पड़ती है
आख़िर किसी कंपनी को शेयर की जरुरत क्यों पड़ती है ये बात हमें जरूर सोचना चाहिए। चलिए इसको एक उदाहरण से समझते हैं।
कंपनी जब कोई प्रोडक्ट बनाती है उसके लिए रॉ मटेरियल की जरूरत पड़ती है उस रॉ मटेरियल को तैयार करने के लिए एंप्लाई की आवश्यकता पड़ती है और जब प्रोडक्ट तैयार हो जाता है तो उसे बाजार में बेचती है इन सब प्रोसेस में काफी टाइम लगता है।
तुरंत कि तुरंत पैसे नहीं आते तो कंपनी को अपने खर्चों को मैनेज करने के लिए जैसे कि रॉ मटेरियल खरीदना है या एम्पलॉयर को सैलरी देना है, या कंपनी के और भी खर्च होते हैं इन सब खर्चों के लिए काफी पैसों की जरूरत पड़ती है। जब कंपनी छोटे लेवल पर काम करती है तो उसे कम पैसों की जरूरत पड़ती है।
लेकिन जैसे-जैसे कंपनी बड़ी हो जाती है तो उसके खर्च भी बढ़ जाते हैं और जो प्रोडक्ट बनाया है उसको बाजार में बेचने के बाद पैसे आने में काफी टाइम लगता है इन सब जरूरतों को पूरा करने के लिए पैसों की जरूरत पड़ती है। इन जरूरतों को पूरा करने के लिए कंपनी के पास 2 ऑप्शन होता है एक ऑप्शन तो यह होता है कि वो बैंक जाकर लोन ले और लोन के पैसे से कंपनी के खर्चों को मैनेज करें।
दूसरा ऑप्शन ये है कि वो अपनी कंपनी का छोटे-छोटे हिस्सों में डिवाइड कर दें और शेयर बना दे जिससे कि कोई भी आम इंसान उसमें अपने पैसे इन्वेस्ट कर दे इस तरीके से कंपनी के पास पैसे आ जाते हैं और कंपनी को फायदा होता है कंपनी ने अपने शेयर के रूप में लोगों को उसका हिस्सेदार बना दिया दूसरे लोगों को जिन्होंने हिस्सा लिया है।
उनका भी प्रॉफिट होगा। पैसा लगाकर जब कंपनी को प्रॉफिट होगा उनको भी जिसने शेयर खरीदा है प्रॉफिट होगा इस तरीके से कंपनी को शेयर की आवश्यकता पड़ती है इस तरीके से कंपनी को और आम इंसान को दोनों को फायदा होता है।
शेयर किस तरीके से और कहां से शुरू होता है
अब बात करते हैं शेयर किस तरीके से और कहां से शुरू होता है कोई भी कंपनी जब छोटे लेवल से बड़े लेवल पर पहुंच जाती है तो वो अपना आई.पी.ओ लेकर आती है और शेयर बाजार में आई.पी.ओ को लिस्ट करवाती है। सबसे पहले कंपनी अपना आई.पी.ओ लेकर आती है जिसको इनिशियल पब्लिक ऑफररिंग भी बोलते हैं।
आई.पी.ओ का एक प्राइस डिसाइड होता है एक डेट डिसाइड होता है उस प्राइस पे कभी-कभी ऐसा भी होता है कंपनी ने जितने भी आई.पी.ओ शेयर लेकर आई है और लोगों ने ज्यादा अप्लाई किया है मतलब ज्यादा लोग चाह रहे हैं हमें आई.पी.ओ मिल जाए तो उस केस में ऑटोमेटिक सिस्टम के थ्रू रैंडम तरीके से लागू किया जाता है।
किसको मिलेगा या किसको नहीं मिलेगा एक उदाहरण से समझते हैं मान लीजिए कंपनी ने जितना आई.पी.ओ लेकर आया उससे ज्यादा लोगों ने अप्लाई किया तो सब को नहीं मिलेगा और अगर आई.पी.ओ ज्यादा लेकर आया तो सबको मिलेगा आई.पी.ओ के थ्रू कंपनी फर्स्ट टाइम अपना ऑफर लेकर आती है।
फिर कंपनी शेयर मार्केट में लिस्ट हो जाती है उसके बाद कोई भी अपना शेयर खरीद सकता है और बेच सकता है आई.पी.ओ लाने के लिए कंपनी को अपने डाक्यूमेंट्स दिखाने होते हैं कुछ चीजें होती है जो कि कंपनी को फॉलो करना होता है। शेयर मार्केट को कंट्रोल करने के लिए सेबी Securities and Exchange Board of India बनाया गया है जो कि पूरे शेयर मार्केट का रेगुलेटर होता है।
सेबी यह देखती है कहीं गलत तो नहीं हो रहा कंपनी ठीक तरीके से चीजों को बता रही या कुछ चीजों को छुपा तो नहीं रही है कंपनी के बारे में और अपना प्रॉफिट ज्यादा बढ़ा चढ़ा कर पैसा लेने के लिए क्योंकि कंपनी का जितना ज्यादा प्रॉफिट होगा।
उसी तरीके से उसके उतने ही ज्यादा लोग चाहेंगे उस कंपनी के शेयर को खरीदना क्योंकि प्रॉफिट तभी कमाएंगे जब कंपनी ज्यादा पैसे कमाएंगी इस तरीके से शेयर मार्केट में सेबी का महत्वपूर्ण रोल होता है सेबी ही कंपनी के ऊपर नजर रखती है साथ ही इन्वेस्टर के ऊपर भी नजर रखती है कहीं कुछ गलत तो नहीं कर रहा है अगर कहीं कुछ गलत हो रहा होता है तो सेबी उस पर एक्शन लेती है।
स्टॉक एक्सचेंज क्या होता है
अब बात करते हैं स्टॉक एक्सचेंज क्या होता है जहां पर कंपनी के पास जो भी शेयर होती है तो उस शेयर को लिस्ट करवाती है स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होती है जैसे हमारे देश में दो बड़े स्टॉक एक्सचेंज है जो बहुत ही पॉपुलर है एक है बी.एस.ई और एन.एस.ई
BSE (Bombay Stock Exchange ) और NSE (National Stock Exchange ) आमतौर पर कंपनी अपने शेयर को दोनों जगह लिस्ट करवाती है। BSE में रूल्स थोड़ा कम सख्त है जबकि NSE में रूल्स ज्यादा सख्त है। आमतौर से लोग एन.एस.ई शेयर खरीदते हैं वैसे बी.एस.ई से भी खरीदते हैं। इसमें कोई दिक्कत की बात नहीं है।
NIFTY और SENSEX क्या होता है
अब बात करते हैं NIFTY और SENSEX क्या होता है सबसे पहले बात करते हैं सेंसेक्स की शेयर मार्केट में कंपनियां लिस्ट हो गई है बहुत सारी कंपनियां अब मार्केट का हाल क्या है ऊपर जा रही है या नीचे आ रही है इस चीज को जानने के लिए इसको समझने के लिए उसके लिए एक इंडिकेटर बनाया गया है जैसे एक उदाहरण से समझते हैं।
जैसे घरों में लाइट है या नहीं है एक इंडिकेटर छोटा सा बल्प जैसे बना होता है जिससे कि पता चलता है कि लाइट है या नहीं इंडिकेटर से मालूम चलता है अभी घर पर लाइट है या नहीं है उसी तरीके से शेयर मार्केट अब बढ़ रहा है या घट रहा है ये कैसे पता चले इसके लिए इंडिकेटर बनाया गया है इसको ही दोनों तरीके से SENSEX और NIFTY से जान सकते हैं।
सेंसेक्स में होता यह है कि बी.एस.ई जो एक स्टॉक एक्सचेंज है उसमें जो भी कंपनियां लिस्ट है मार्केट पैक के हिसाब से 30 सबसे बड़ी कंपनी जो होती है उन सब को मिलाकर एक ग्रुप बनाते हैं उसको हम सेंसेक्स कहते हैं। सेंसेक्स की शुरुआत 1986 में हुई थी और इसका बेस पॉइंट 100 रखा गया था अभी की बेस पॉइंट करीब 55 हजार के आसपास चल रहा है तो आप यह देख सकते हैं 1986 से अब तक सेंसेक्स कितना बढ़ गया है।
अब बात करते हैं निफ्टी की निफ्टी में एन.एस.ई एक्सचेंज होता है उसमें लिस्ट की हुई 50 सबसे बड़ी कंपनी मतलब मार्केट कैपिटल जिसका सबसे ज्यादा है उस आर्डर में 50 बड़ी कंपनियों की लिस्ट तैयार की जाती है उस लिस्ट को कभी हम निफ़्टी 50 भी बोल देते हैं इससे भी हमें यह पता चल जाता है कि हमारा शेयर मार्केट क्या हाल है ऊपर जा रही है या नीचे जा रही है।
जैसे कोई दिक्कत आ गई जैसे कोई महामारी बीमारी आ गई तो मार्केट डाउन हो जाती है तो वह डाउन कहां से पता चलता है वह सेंसेक्स और निफ्टी के दोबारा पता चल जाता है निफ़्टी 50 की शुरुआत 22 अप्रैल 1996 में हुई थी इसकी बेस डेट 3 नंबर 1995 और बेस पॉइंट एक 1000 हजार लिया गया था निफ़्टी 50 आज 22 अगस्त को लगभग 16450 पॉइंट पर चल रहा है।
शेयर बाजार में हम शहर को कैसे खरीद और बेच सकते हैं
अब हम यह जानते हैं कि शेयर बाजार में हम शेयर को कैसे खरीद और बेच सकते हैं शेयर बाजार में शेयर खरीदने और बेचने के लिए सबसे पहले हमें एक डीमैट अकाउंट की जरूरत पडती है डिमैट अकाउंट खोलने के लिए बहुत सारी कंपनियां है जो डीमेट अकाउंट ओपन करवाने का काम करती है इसमें ज्यादातर बैंक है वो भी इसमें शामिल है उनके द्वारा हम अपना डिमैट अकाउंट ओपन करते हैं।
डिमैट अकाउंट ओपन हो जाता है जिससे हम शेयर को खरीद और बेच सकते हैं। शेयर बाजार का एक टाइम सेट होता है उस टाइम में ही हम शेयर को खरीद और बेच सकते हैं शेयर मार्केट का टाइमिंग इंडिया में 9:15 से 3:30 बजे तक होता है शेयर मार्केट सोमवार से शुक्रवार तक ही ओपन रहती है शनिवार और रविवार ऑफ रहती है बाकी नेशनल होलीडे में भी शेयर मार्केट ऑफ रहती है।
शेयर मार्केट में पैसे कैसे कमाते हैं
अब यह समझते हैं कि शेयर मार्केट में पैसे कैसे कमाते हैं शेयर मार्केट से पैसे कमाने का तरीका यह होता है जब शेयर का दाम कम हो तो उस कंपनी का शेयर खरीदना है जिस कंपनी का शेयर का दाम कम हो फिर आगे चलकर उस कंपनी का शेयर का दाम बढ़ जाए तो फिर उस शेयर को बेचना है यही शेयर मार्केट का प्रोसेस है। अब सवाल यह आता है कि कैसे पता करें किस कंपनी का शेयर का दाम अभी कम है और आगे चलकर उस कंपनी का शेयर का दाम बढ़ जाएगा।
शेयर के दाम कम ज्यादा पता करने के लिए बहुत सारे तरीके होते हैं उनमें से एक अच्छा तरीका फंडामेंटल एनालिसिस होती है। इससे दो तरीके से लोग पैसा कमाते हैं एक होता है इन्वेस्टिंग और एक होता है। ट्रेडिंग इन्वेस्टिंग ये होता है लोग शेयर खरीद लेते हैं शेयर खरीद के छोड़ देते हैं उसको बार-बार बेचते नहीं है शेयर बार-बार खरीदते नहीं है यह इन्वेस्टिंग होता है।
ट्रेडिंग मे होता ये है शेयर को खरीदा और जितना प्रॉफिट मैं उसे सेल करना है उतना प्रॉफिट होते ही शेयर बेच देते हैं ट्रेडिंग में एक इंट्राडे ट्रेडिंग होता है और दूसरा स्विंग ट्रेडिंग होता है इंट्राडे ट्रेडिंग में यह होता है जिस दिन शेयर खरीदा उसी दिन शेयर को बेच दिया जबकि स्विंग ट्रेडिंग में यह होता है शेयर खरीदने के बाद हफ्ता 15 दिन महीने बाद शेयर को बेचते हैं।
क्या शेयर मार्केट में टैक्स देना पड़ता है
अब बात करते हैं क्या शेयर मार्केट में टैक्स भी देना पड़ता है जी हां टैक्स देना पड़ता है जो हमने शेयर मार्केट से कमाया है उसका टैक्स भी देना पड़ता है मान लीजिए हमने ट्रेडिंग करके कमाया है एक साल के अंदर किसी भी कंपनी का हमने शेयर खरीदा और बेच दिया उस पर अलग तरीके से टैक्स लगता है और उसको शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन भी कहते हैं।
और अगर शेयर को खरीदा और होल्ड किया कम से कम 1 साल के बाद उसे बेचा जो प्रॉफिट हुआ फिर वह हमें लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कहलाता है जो भी प्रॉफिट होगा इन दोनों का टैक्स का परसेंटेज अलग-अलग होता है लोंग टर्म कैपिटल गेन होता है उस पर जो टैक्स लगता है अगर एक लाख का प्रॉफिट होता है तो उस पर 10% का टैक्स लगता है इसी तरीके से शॉट टर्म कैपिटल गेन किसी ने कुछ पैसे कमाए हैं जैसे इंट्राडे,स्विंग ट्रेडिंग करके तो उसको 15% का टैक्स देना पड़ता है।
निष्कर्स
तो यह थी शेयर मार्केट की कुछ जरूरी बेसिक जानकारियां अगर आपको इस आर्टिकल में कुछ सीखने को मिला तो आप इस आर्टिकल को अपने जानने वालों के साथ भी शेयर करें और उनको भी बताएं। ऐसे ही और शेयर मार्केट से जुड़ी ढेर सारी जानकारी इस वेबसाइट में आपको मिलेगी।