शेयर बाजार में प्रयोग होने वाले सबसे महत्वपूर्ण 20+ शब्द और उनके अर्थ

शेयर मार्केट में प्रयोग होने वाले शब्द और उनके अर्थ जिनसे आप जान सकें शेयर बाज़ार की भाषा जिससे कि आपको इस बाजार और इसकी शब्दावली को समझने में आसानी होगी।

कई प्रकार के शब्द जो कि शेयर बाजार में प्रयोग किए जाते हैं बाजार कि ट्रेडिंग के बारे में, शेयरों के बारे में या कम्पनियों के बारे में जिनका अर्थ हमें मालूम नहीं होता है। आज समझेंगे शेयर बाजार की भाषा जिससे इस बाजार को समझने में और भी आसानी होगी।

आज मैं आपको शेयर मार्किट की शब्दावली के बारे में बताने जा रहा हु मैं कुल 50 शब्दों के बारे में बताऊंगा जो शेयर मार्किट मे Daily Use होते है तो आइये जानते है

शेयर मार्किट

शेयर मार्किट वह मार्किट है जहां कंपनिया अपने शेयर्स बेच कर पैसा उठाती है जहां कंपनियों के शेयर्स को ख़रीदा और बेचा जाता है।

जब एक कंपनी अपनी पूंजी को छोटे – छोटे टुकड़ो में बाँट देती है तो उस सबसे छोटे टुकड़े जिसके और टुकड़े नहीं हो सकते है उसे Share (अंश) कहते है। Share किसी कंपनी की कुल पूंजी का एक हिस्सा होता है अगर आप कंपनी में 100 रुपये निवेश करेंगे तो कंपनी आपको अपना एक शेयर दे देगी जिसका अर्थ है आप उस कंपनी के 1 शेयर के मालिक हो गये है।

Share एक सर्टिफिकेट होता है जिस पर लिखा होता है की आपने किसी कंपनी को कितने रुपये दिये है और बदले में आप उस कंपनी के कितने प्रतिशत के हिस्सेदार है।

स्टॉक मार्केट

जब हम शेयर मार्किट की बात कर रहे हो तो हम सिर्फ Equity की बात कर रहे होते है बल्कि स्टॉक मार्केट में Bonds, Debenture, Mutual Fund, Forex, Commodity, Derivatives, Shares सभी शामिल होते है। स्टॉक मार्केट एक ऐसी जगह है जहां पर आप अपने पैसे को निवेश करके अच्छी खासी रकम कमा सकते हैं. यह मार्केट पूरी तरह से देश की अर्थव्यवस्था, वैश्विक संकेतों, मुद्रा और आरबीआई की नीतियों आदि पर निर्भर करता है. स्टॉक मार्केट में अलग-अलग कंपनियों के नाम से शेयर होते हैं।

एक्टिव शेयर

बाजार के वो शेयर जिनका क्रय-विक्रय ( Buy-Sell ) नियमित रूप से प्रतिदिन शेयर बाजार ( Share Market ) में होता हैं, उसे एक्टिव शेयर कहते हैं।

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राईट शेयर

किसी कम्पनी द्वारा जारी नये शेयरों को क्रय करने का पहला अधिकार वर्तमान शेयर होल्डर ( Current Shareholder ) का होता हैं. वर्तमान शेयर होल्डर के इस अधिकार को पूर्ण क्रय का अधिकार कहा जाता हैं और इस के कारण उनको जो शेयर प्राप्त होते हैं. उसे राईट शेयर कहा जाता हैं।

बोनस शेयर

जब किसी कम्पनी द्वारा अपने अर्जित लाभों में से रखे नये रिजर्व को शेयर के रूप में वर्तमान शेयर होल्डरों के मध्य आनुपातिक रूप से बाँट दिया जाता हैं तो उसे बोनस शेयर कहते हैं। बोनस शेयर एक तरह का स्टॉक डिविडेंड है जो कंपनी अपने शेयरधारकों को पुरस्कृत करने के लिए देती है।

इसमें कंपनी डिविडेंड की तरह पैसे नहीं बल्कि शेयर देती है। ये शेयर कंपनी अपने रिजर्व से जारी करती है। बोनस शेयर मुफ्त में दिए जाते हैं और ये शेयरधारकों को इस आधार पर दिए जाते हैं कि उनके पास कंपनी के कितने शेयर मौजूद हैं।

स्वीट शेयर

यह वे शेयर होते हैं जो कंपनी अपने कर्मचारियों और डायरेक्टर्स को कम कीमतों पर देती हैं। कभी-कभी कंपनी इन शेयर को फ्री में भी देती है।

शेयर बाजारों पर निगरानी रखनेवाली संस्था ने विशेष श्रेणी के स्वीट शेयरों के लिए तीन वर्ष का ‘लॉक-इन पीरियड’ निर्धारित किया है।

इसका मतलब यह है कि तीन वर्ष से पहले इन्हें किसी अन्य को बेचा नहीं जा सकता। यह भी समान्य शेयरों की तरह शेयर बाजार में सूचीबद्ध होते हैं।

टारगेट

जब किसी शेयर को खरीदना या बेचना होता है तो उस शेयर का एक प्राइस निश्चित किया जाता है। जिसे टारगेट प्राइस कहा जाता है। जब शेयर खरीदना हो तो टारगेट पर हिट करने पर इसे खरीद लेते हैं, और जब Share को बेचना होता है तो प्रॉफिट टारगेट हिट करने पर इसे बेच दिया जाता है।

निफ्टी 50

निफ्टी 50, एनएसई द्वारा नियोजित इंडेक्स है। जो भारतीय शेयर बाजार की सारी मार्केट ट्रेंड का अनुमान लगाता है।

निफ्टी 50 का अर्थ “नेशनल स्टॉक एक्सचेंज फिफ्टी” है। निफ्टी की गणना के लिए पारंपरिक रूप से कंपनियों के टॉप 50 शेयरों का उपयोग किया जाता है।

वर्तमान में निफ्टी 50 की गणना करने के लिए 51 स्क्रिप का उपयोग किया जाता है। जबकि 51 वाँ स्टॉक टाटा मोटर्स का डीवीआर है।

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एनएसई

एनएसई का फुल फॉर्म “नेशनल स्टॉक एक्सचेंज” है, जो भारत के साथ-साथ दुनिया में सबसे लोकप्रिय स्टॉक एक्सचेंज है।

एनएसई को वर्ष 1992 में मुंबई में स्थापित किया गया था और वर्ष 2015 में इक्विटी सेगमेंट में ट्रेड करने के लिए दुनिया में चौथे सबसे अच्छे स्टॉक एक्सचेंज के रूप में स्थान प्राप्त किया है।

बीएसई

बीएसई का फुल फॉर्म बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज है।

यह भारत का सबसे पुराना और सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है जो कि वर्ष 1875 से चल रहा है। आज की तारीख में इसके 6000 से ज्यादा स्टॉक्स की ट्रेडिंग बीएसई पर होती।

सेबी

SEBI का Full Form है Securities and Exchange Board of India और इसे हिंदी में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड कहते है। सेबी भारत सरकार के अंतर्गत आने वाली एक सवैंधानिक संस्था है जो भारत में शेयर बाजार की मॉनिटर करने वाला रेगुलेटर है।

जिस तरह RBI (Reserve Bank of India) बैंको को रेगुलेट करती है ठीक उसी तरह SEBI स्टॉक मार्किट को रेगुलेट करती है।

सेबी को सिक्योरिटीज एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया के रूप में जाना जाता है, जो भारत में शेयर बाजार की मॉनिटर करने वाला रेगुलेटर है।

ब्रोकर

ब्रोकर स्टॉक एक्सचेंज और उन इन्वेस्टर या ट्रेड के बीच एक मध्यस्थ है। वह कमीशन के बदले में धन और शेयरों के ट्रांसफर की सुविधा देते हैं। ब्रोकर एक बिचौलिया है, जो खरीदारों और विक्रेताओं के बीच ट्रेड की सुविधा देता है।

ब्रोकर एक फर्म को भी संदर्भित कर सकता है, जब वह इन्वेस्टर के एजेंट के रूप में कार्य करता है और खरीदारों और विक्रेताओं के बीच लेनदेन की व्यवस्था करता है। फर्म इन सेवाओं के लिए विशिष्ट शुल्क लेती है।

लार्ज कैप स्टॉक

लार्ज-कैप स्टॉक ₹20000 करोड़ रुपये से अधिक के मार्केट पूंजीकरण के साथ अच्छी तरह से स्थापित कंपनियों के शेयर हैं। लार्ज-कैप शेयरों को आमतौर पर कम जोखिम वाला माना जाता है।

इसकी मार्केट में एक मजबूत उपस्थिति होती है। इसका शक्तिशाली और स्थिर रिटर्न प्रदान करने का इतिहास है। इसमें बड़ी कंपनियों के बारे में जानकारी आसानी से उपलब्ध हो जाती है।

इसमें अधिकांश कंपनियां समाचार पत्रों जैसे मीडिया के माध्यम से संचालन, प्रोडक्ट, विस्तार योजनाओं के बारे में समय पर जानकारी का खुलासा करती हैं।

मिडकैप स्टॉक

मिडकैप शेयर 5000 करोड़ रुपये से 20000 करोड़ रुपये के बीच बाजार पूंजीकरण वाली कंपनियों के शेयर हैं। मिड-कैप स्टॉक निवेशकों को आकर्षित करते हैं,क्योंकि वे 3-5 साल के समय में तेजी से रिटर्न अर्जित करने की संभावना प्रदान करते हैं।

मिड-कैप कंपनियों में विकास की जबरदस्त गुंजाइश है और इसमें भविष्य में सफलता प्राप्त हो सकती है।

हालांकि, मिड-कैप कंपनियां कंपनी के आंतरिक संचालन और विस्तार योजनाओं के बारे में आस्वस्त नहीं होती हैं, क्योंकि वे प्रतियोगिता के लिए ट्रम्प का प्रयास करते हैं। इसलिए कंपनी की पूर्ण जानकारी होनी चाहिए।

इससे इन्वेस्टर के लिए शेयरों की क्षमता को आंकना मुश्किल हो जाता है। इसलिए, रूढ़िवादी निवेशक ऐसे शेयरों से दूर रहते हैं।

स्मॉल-कैप स्टॉक

ज्यादातर स्मॉल-कैप कंपनियां शुरुआती स्टार्ट-अप और इंटरप्रेनरशिप होते हैं, जो एस्ट्रोनॉमिकल रिटर्न अर्जित करने का अवसर पेश करती हैं। संभवतः वे असंगत रिटर्न और कम रेवेन्यू वाली कंपनियां हैं।

इनमें से कई कंपनियों बंद हो सकती है। लेकिन एक ही समय में, कई ऐसी कंपनियां हैं, जो अपने आंतरिक मूल्य से कम पर कारोबार कर रही हैं। इन कंपनियों के बारे में जानकारी आसानी से उपलब्ध नहीं है।

इसलिए ये छोटे-कैप स्टॉक इन्वेस्टर के लिए एक लंबा इन्वेस्टमेंट क्षितिज है। यह उनके उच्च जोखिम को कम करता हैं।

ग्रोथ स्टॉक

ग्रोथ स्टॉक संभावित स्टॉक और भविष्य में मार्केट को बेहतर बनाने की क्षमता रखने वाले शेयर हैं। ग्रोथ कंपनियां, ऐसी कंपनियां हैं, जिन्होंने मार्केट में काफी स्थायी, और बेहतर-औसत रिटर्न अर्जित की हैं और उम्मीद की जा रही है कि वे पर्याप्त रिटर्न प्रदान करती रहेंगी।

सरल शब्दों में, ग्रोथ स्टॉक ने स्वस्थ और सुसंगत आय और अतीत में मजबूत प्रदर्शन किया हैं और भविष्य में भी अपने विकास पैटर्न को जारी रखा हुआ है ।

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वैल्यू स्टॉक्स

एक वैल्यू स्टॉक एक ऐसा स्टॉक है, जिसमे इन्वेस्टर को लगता है कि उनके आंतरिक मूल्य से नीचे मार्केट मूल्य पर कारोबार कर रहा है। वैल्यू स्टॉक वे स्टॉक होते हैं, जिन पर एक निवेशक विचार कर सकता है, कि वर्तमान में इसका मूल्यांकन नहीं किया गया है, लेकिन बाद में इसकी वैल्यू को काफी ऊपर जाने की उम्मीद है।

वैल्यू निवेश का अर्थ है, फाइनेंशियल विवरणों के मूल्यांकन के माध्यम से शेयरों के वास्तविक आंतरिक मूल्य को उजागर करना होता है।

अक्सर संबंधित कंपनी की अमूर्त संपत्ति को नजरअंदाज कर दिया जाता है, फिर कीमतों का इंतजार करने के लिए उनके आंतरिक मूल्य से नीचे गिरने के लिए धैर्य विकसित करना पड़ता है।

निवेशक तब खरीदता है, जब सिक्योरिटीज उनके आंतरिक मूल्य से कम मूल्य पर कारोबार कर रही होती हैं और जब कीमतें उनके वास्तविक मूल्य तक पहुंच जाती हैं तो उन्हें बेच दिया जाता हैं।

यह आंतरिक मूल्य के बिज़नेस के माध्यम से उत्पन्न होने वाली सभी फ्यूचर कैश फ्लो की शुद्ध वर्तमान कीमत है। दिग्गज इन्वेस्टर, वॉरेन बफे, वैल्यू इन्वेस्टिंग का सबसे सफल व्यवसायी है।

बायबैक

किसी कंपनी द्वारा जब अपने ही शेयरों को दोबारा खरीदने का । निर्णय लिया जाता है तो उसे ‘बायबैक’ कहा जाता है।

इस निर्णय के पीछे का मकसद होता है कंपनी द्वारा बाजार में उपलब्ध उसके शेयरों की संख्या को घटाना। इस प्रक्रिया में प्रति शेयर लाभ में इजाफा होता है और बैलेंस शीट भी बेहतर होती है।

कंपनी जिस टेंडर ऑफर या खुले बाजार के द्वारा बायबैक के माध्यम से शेयर वापस खरीदती है

उसमें टेंडर ऑफर बायबैक की कीमत ओपन मॉर्केट में शेयर के दाम से ज्यादा होती है? और जिस निवेशक के पास उस कंपनी के शेयर होते हैं, वह बायबैक के समय चाहे तो फायदा ले सकता

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बुल्लिश मार्किट की पहचान

जब शेयर बाजार में तेजी होती है और बाजार के सूचकांक ऊपर जा रहे होते हैं। बुल्लिश मार्किट में कमजोर शेयर भी अनाप शनाप में ऊंची ऊंची कीमतों तक पहुँच जाते हैं।

बाजार में ऐसा माहोल बन जाता है कि कई घटिया शेयर भी बहुत महंगे हो जाते हैं। बाजार में नए नए निवेशक पहुँचने लग जाते हैं. बाज़ार अविश्वसनीय स्तर तक पहुँचने लगते हैं। हर तरफ लालच का माहौल बन जाता है।

बेयरिश मार्किट की पहचान

जब बाजार के सूचकांक गिर रहे होतें हैं तो उसे बेयरिश मार्किट कहते हैं बेयरिश मार्किट में हर तरफ ख़ामोशी और निराशा छा जाती है।

बड़ी बड़ी कंपनियों के शेयर औंधे मुंह गिरे होते हैं मगर कोई उन्हें पूछता भी नहीं है. निराशा के कारण कोई खरीददार नहीं मिलता। बाजार से निवेशक गायब हो जाते हैं. लोग पैसा लगाना नहीं चाहते। डर का माहौल बन जाता है।

शेयर बाजार से संबंधित प्रश्न और उत्तर

शेयर बाजार कितने प्रकार का होता है?

भारत में मुख्यतः 3 प्रकार के शेयर होते है

  • Equity Share (इक्विटी शेयर)
  • Preference Share (परेफरेंस शेयर )
  • DVR Share (डी वी आर शेयर )

प्रेफेरेंस शेयर क्या होते हैं?

प्रेफरेंस शेयर वे शेयर होते हैं जो खाताधारक को एक निश्चित डिविडेंड के साथ दिए जाते हैं, इनको डिविडेंड का भुगतान सामान्य शेयरधारकों से पहले किया जाता है। शेयर बाजार में अन्य प्रकार के शेयरों की तरह ही इनका ट्रेड होता है। प्रेफरेंस शेयरों द्वारा बनाए गए धन को प्रेफरेंस शेयर कैपिटल के रूप में जाना जाता है।

इक्विटी शेयर क्या है?

इक्विटी शेयर एक निवेश करने योग्य सिक्योरिटी (शेयर, बॉन्ड) है, जो कंपनी, पब्लिक के लिए जारी करती है। यह एक खरीदार, जिसे शेयरधारक के रूप में भी जाना जाता है, उसको कंपनी का आंशिक स्वामित्व/ओनरशिप देती है। इक्विटी शेयर के होल्डर को कंपनी में कई तरह के लाभ भी मिलते हैं।

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डीवीआर शेयर क्या है?

DVR शेयर का मतलब है, Differential Voting Rights वाले शेयर। यानी जैसे सामान्य शेयर में 1 शेयर के बदले 1 Vote करने का अधिकार मिलता है, वैसे नहीं बल्कि उस से कम या ज्यादा Vote करने का अधिकार होता है।

इसका मतलब यह है कि डीवीआर शेयरों वाले शेयरधारकों के पास इक्विटी शेयर रखने वाले शेयरधारकों की तुलना में अधिक या सीमित मतदान अधिकार हैं। लेकिन भारतीय कानून के तहत, कंपनियों को उच्च मतदान अधिकारों के साथ इक्विटी शेयर जारी करने की अनुमति नहीं है, इसलिए स्टॉक मार्केट में जारी किए गए डीवीआर शेयर केवल सीमित मतदान अधिकार वाले हैं।

शेयर बाजार कितने बजे खुलता है?

जब हम बात शेयर बाजार की करते है तो इसका मतलब NSE और BSE से है। अगर कमोडिटी मार्केट MCX (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) और NCDEX (नेशनल कमोडिटी एंड डेरीवेटिव एक्सचेंज) की करें तो यह सुबह 10 बजे से लेकर रात के 11 बजकर 30 मिनट तक खुला रहता है। जबकि ये भी शेयर मार्केट की तरह सोमवार से शुक्रवार तक खुला रहता है।

डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है?

दुनिया भर में डिलीवरी ट्रेडिंग निवेश के लिए इस्तेमाल होने वाली एक बहुत ही अच्छी विधि मानी जाती है। निवेश करने के लिए निवेशक जो शेयर डिलीवरी में खरीदता है वह उन शेयरों को अपने डीमैट खाते में लंबे समय तक अपनी मर्जी के अनुसार रख सकता है।

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निष्कर्ष

शेयर मार्केट में प्रयोग होने वाले शब्द और उनके अर्थ की जानकारियाँ आपको एक बेहतर निवेशक बनने में मदद करेंगी। मैंने यहाँ इन्हें आसान हिंदी में समझने की कोशिश की है जिससे नए निवेशकों को भी शेयर बाज़ार की शब्दावली समझने में कठिनाई ना हो।

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