आपने बॉन्ड के बारे में बात करते हुए बहुत लोगों के मुंह से सुना होगा इस पोस्ट में हम आपको बॉन्ड के बारे में बताएंगे बॉन्ड क्या होते हैं, बॉन्ड कैसे काम करते हैं, बॉन्ड कितना रिटर्न देते हैं?, बॉन्ड्स के फायदे और नुकसान, बॉन्ड्स के प्रकार, बॉन्ड्स में कैसे इन्वेस्ट करें, इसके बारे में आपको विस्तार पूर्वक जानकारी देंगे तो आइए आज जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर यह बॉन्ड है क्या।
बॉन्ड क्या है
जिस तरह से जब आपको पैसे की जरूरत होती है तब आप या तो सेविंग से अपनी उस जरूरत को पूरा करते हैं या फिर किसी से कर्ज लेते हैं। ठीक उसी तरह से जब सरकार पर राजकोषिय घाटे की मार पड़ती है या महत्वपूर्ण कार्यों के लिए पैसे की जरूरत होती है तो सरकार पैसा इकट्ठा करने के लिए बॉन्ड जारी करती है।
इसके बदले में वो एक निश्चित ब्याज दर का भुगतान करने का वादा करता हैं। इन जारी किये बॉन्ड्स पर ब्याज दर लिखी होती हैं जिसे कूपन रेट भी कहा जाता हैं।
आसान शब्दों में कहें तो बॉन्ड पैसा जुटाने का एक माध्यम है। बॉन्ड से जुटाए गया पैसा कर्ज की श्रेणी में आता है। सरकार अपनी आय और खर्च के अंतर को पूरा करने के लिए बॉन्ड के जरिए पैसा उधार लेती है।
यह भी पढ़ें : शेयर मार्केट का गणित
बॉन्ड के बारे में कुछ जरुरी बातें
- सरकार यह बॉन्ड बड़े इन्वेस्टर्स और आम लोगों के लिए जारी करती है जारी किए गए बॉन्ड को ‘ऋण पत्र’ भी कहते हैं।
- बॉन्ड एक पत्र के फॉर्मैट में होता है। इस लेटर पर बॉन्ड की फेस वैल्यू या बॉन्ड का प्राइस भी लिखा होता है और उस पर मिलने वाला ब्याज दर भी लिखा होता है।
- बॉन्ड कितने समय के लिए है यह सभी बातें भी इस ऋण पत्र पर लिखी होती हैं।
- बॉन्ड का प्राईस क्या होना है यह सभी बातें पहले ही तय कर ली जाती है।
- बॉन्ड की समयावधि यानि की टाईम पीरियड एक साल से लेकर पांच साल या दस साल या फिर इससे ज्यादा भी हो सकता है।
- बॉन्ड की समयावधि को मिच्योरिटी पीरियड भी कहते हैं। और जब बॉन्ड का पीरियड खत्म हो जाता है तो तय नियमों और शर्तों के अनुसार आपको आपका पैसा वापस मिल जाता है।
- बॉन्ड को बहुत सुरक्षित माना जाता है। खासकर सरकारी बॉन्ड बहुत सुरक्षित है। कारण यह है कि इनमें सरकार की गारंटी होती है।
- कंपनी का बॉन्ड उसकी वित्तीय स्थिति के हिसाब से सुरक्षित होता है। इसका मतलब यह है कि अगर कंपनी की वित्तीय स्थिति ठोस है तो उसका बॉन्ड भी सुरक्षित होगा।
यह भी पढ़ें : शेयर मार्किट की शब्दावली
बॉन्ड् कैसे काम करते हैं
सबसे पहले आपको यह समझ लेना जरूरी है कि बॉन्ड एक तरह का कर्ज है। जब भी सरकार को सरकारी योजनाओं के लिए पैसों की आवश्यकता होती हैं तो सरकार बॉन्ड् जारी करके पैसे जुटा सकती हैं।
वैसे ही अगर किसी कंपनी को कर्ज की जरुरत होती हैं। तो फिर वह बॉन्ड के जरिए पैसे जुटा सकती हैं। तो उसके पास मुख्यतया तीन विकल्प होते हैं।
कंपनी के पास मुख्यतया तीन विकल्प होते हैं
- पहला शेयर मार्केट में इक्विटी शेयर इशू करना। इसमें कंपनी के शेयर dilute होते हैं।
- दूसरा विकल्प होता हैं बैंक लोन। परन्तु ये कंपनी को बहुत महँगा पड़ता हैं क्योंकि इसमें ब्याज दर बहुत ज्यादा होती हैं।
- तीसरा विकल्प होता हैं बॉन्ड्स जारी करके पैसे जुटाना। इसमें बैंक लोन की अपेक्षा ब्याज दर कम होती हैं और कंपनी को अपनी इक्विटी भी dilute नहीं करनी पड़ती।
यह भी पढ़ें : इन्वेस्टमेंट, निवेश क्या है ? निवेश किसे कहते हैं?
बॉन्ड के लिए तीन चीजें सबसे अहम
- पहला यह कि वह बॉन्ड से कितना पैसा जुटाना चाहती है।
- दूसरा, वह कर्ज कितने साल के लिए जुटाना चाहती है।
- तीसरा, इस कर्ज पर वह कितना ब्याज देगी। आम तौर पर ब्याज सालाना होता है।
बॉन्ड् के फायदे और नुकसान
बॉन्ड में निवेश करने के कुछ फायदों के साथ कुछ नुकसान भी होते हैं जिनका आपको ध्यान रखना आवश्यक हैं।
बॉन्ड के फ़ायदे
बढ़िया रिटर्न्स
बॉन्ड एक ऐसा लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट हैं जो आपको अन्य निवेश विकल्पों के मुकाबले फिक्स और अच्छी ब्याज दर ऑफर करता हैं। इनके रिटर्न बैंक फिक्स्ड डिपाजिट और सेविंग अकाउंट से ज्यादा होते हैं। बॉन्ड्स के रिटर्न आपको इन्फ्लेशन को बीट करने में भी मदद करते हैं।
कम जोखिम
कंपनियां जो बॉन्ड्स के माध्यम से पैसा उठाती हैं बॉन्ड होल्डर्स को पैसा वापस लौटना उनका प्रथम दायित्व होता हैं। जबकि सरकारी बॉन्ड्स मामले में रिस्क न के बराबर होती हैं।
बांड में दोनों पार्टियों के बीच एक फाइनेंसियल कॉन्ट्रैक्ट होता हैं। जिसके अंतर्गत borrower का due टाइम में पैसा वापस लौटाने का लीगल दायित्व होता हैं।
- बॉन्ड के कई प्रकार होते है, आप अपनी पसंद के हिसाब से एक अच्छे बॉन्ड को चुन सकते है।
- बॉन्ड एक प्रकार का सुरक्षित ऋण माना जाता है, जो बॉन्ड धारक को, बॉन्ड का जारीकर्ता ऋण के बदले एक निश्चित समय में ब्याज दर के साथ मूलधन को चुकाने हेतु प्रतिबद्ध होता है।
- शेयर बाजार की तुलना में बॉन्ड में अस्थिरता कम होती है इसलिए इसे शेयर्स की अपेक्षा अधिक सुरक्षित निवेश माना जाता है।
- कुछ बॉन्ड ऐसे होते है जहाँ आपको अपने पैसे की पूरी गारंटी दी जाती है, चाहे कंपनी दिवालिया घोषित ही क्यों न जाए।
यह भी पढ़ें : हाई रिटर्न के लिए सोने में कब और कैसे निवेश करें
बॉन्ड के नुकसान
- बॉन्ड में निवेश का सबसे बड़ा नुकसान यह होता है कि यदि कोई कम्पनी दिवालिया घोषित हो जाती है तो आपका पैसा डूब सकता है क्योंकि इसमें कोई गारंटी नहीं होती है।
- बॉन्ड्स के रिटर्न शेयर और म्यूच्यूअल फण्ड की तुलना में कम रहते हैं।
- अगर ब्याज दरो में वृद्धि होती है तो बांड्स के बाजार मूल्य में कमी आ जाती है।
- बांड्स में कई प्रकार की जोखिमे होती है जैसे – कॉल और प्रीपेड जोखिम, क्रेडिट जोखिम, अस्थिरता जोखिम, घटना जोखिम आदि।
बॉन्ड क्या है से संबंधित प्रश्न और उत्तर
अधिक जानकारी के लिए पढ़े : बॉन्ड क्या होते हैं
बॉन्ड मार्केट क्या है?
शेयर खरीद कर आप कंपनी में हिस्सेदारी खरीदते हैं और बांड खरीद कर आप इसे जारी करने वाले को एक तरह का उधार देते हैं। इस उधार के लिए बांड जारी करने वाला आपको ब्याज देता है, जिसे कूपन कहते हैं। जब भी सरकार या फिर किसी कंपनी को उधार की जरूरत होती है तो वह बांड जारी करती है।
बॉन्ड कैसे लिखा जाता है?
जारी किए गए बॉन्ड को ‘ऋण पत्र’ भी कहते हैं, क्योकि बॉन्ड एक पत्र (LETTER) के फॉर्मैट में होता है। इस लेटर पर बॉन्ड की फेस वैल्यू या बॉन्ड का प्राइस भी लिखा होता है और उस पर मिलने वाला ब्याज दर (INTEREST RATE) भी लिखा होता है। बॉन्ड की ब्याज दर को कूपन रेट भी करते हैं।
बॉन्ड कितने प्रकार के होते हैं?
नीचे 10 प्रकार के बॉन्ड के नाम हैं
- सरकारी बॉन्ड
- म्युनिसिपल बॉन्ड
- कॉर्पोरेट बॉन्ड
- सिक्योर बॉन्ड
- इनसिक्योर बॉन्ड
- ज़ीरो कूपन बॉन्ड
- प्रपैचुअल बॉन्ड
- इनफ्लेशन बॉन्ड
- कॉलबल बॉन्ड
- कंवर्टिबल बॉन्ड
बांड क्या हैं इनका मूल्यांकन कैसे किया जाता है?
एक बांड एक ऋण साधन है, जो आमतौर पर व्यापार योग्य होता है, जो बांड के मालिक को जारीकर्ता द्वारा दिए गए ऋण का प्रतिनिधित्व करता है। आमतौर पर, बांड कई वर्षों के लिए ब्याज की एक निश्चित दर का भुगतान करने का वादा करते हैं, और फिर परिपक्वता पर मूलधन चुकाने के लिए।
बॉन्ड कनेक्टिविटी क्या है?
निवेश के लिहाज से बॉन्ड को काफी सुरक्षित माना जाता है। बॉन्ड से मिलने वाले रिटर्न को यील्ड कहा जाता है। बॉन्ड की यील्ड और इसके मूल्यों का आपस में उलटा संबंध होता है। बॉन्ड कंपनी और सरकार के लिए पैसा जुटाने का एक माध्यम है।
बॉन्ड कौन जारी कर सकता है?
- कंपनियों द्वारा कॉर्पोरेट बॉन्ड जारी किए जाते हैं।
- नगर निगम बांड राज्यों और नगरपालिकाओं द्वारा जारी किए जाते हैं। नगरपालिका बांड उन नगर पालिकाओं के निवासियों के लिए कर मुक्त कूपन आय की पेशकश कर सकते हैं।
- ट्रेजरी / सरकारी बॉन्ड (1-10 वर्ष की परिपक्वता) और बिल (परिपक्वता के एक वर्ष से कम) को सामूहिक रूप से केवल ट्रेजरी या सरकारी बॉन्ड के रूप में संदर्भित किया जाता है।
बॉन्ड् में Yield to Maturity क्या होता हैं?
बॉन्ड में सम्पूर्ण बॉन्ड अवधि के दौरान मिलने वाले कुल रिटर्न को यील्ड टू मैच्योरिटी कहा जाता हैं। इसमें ब्याज और कैपिटल गेन शामिल होता हैं।
निष्कर्ष
लम्बी अवधि के लिए एक स्थिर आय पाने के लिए बॉन्ड अच्छा विकल्प हो सकता हैं। मुझे आशा है यह लेख आपको पसंद आया होगा अगर इस लेख से जुडी कोई और जानकारी जानना चाहते है तो उसे आप कमेंट के जरिये पूछ सकते है उसका जवाब आपको अवश्य दिया जायेगा। दोस्तों के साथ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर जरूर शेयर करें।