ELSS Fund क्या है ?
ELSS यानि Equity Linked Savings Scheme एक ऐसा म्यूच्यूअल फण्ड इन्वेस्टमेंट ऑप्शन है। जो इन्वेस्टमेंट के साथ एक टैक्स फ्री इन्वेस्टमेंट ऑप्शन है। ELSS एक diversified equity म्यूच्यूअल फण्ड ऑप्शन है जो अपने corpus फंड का maximum पार्ट को इक्विटी में इन्वेस्टमेंट करता है और डाइवर्सिफाइड इक्विटी म्यूच्यूअल फंड होता है। और डाइवर्सिफाइड इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड का मतलब है की यहाँ अलग अलग इंडस्ट्रीज और साइज की कंपनी के शेयर में इन्वेस्टमेंट करता है।
जिस से कि फण्ड में डाइवर्सिटी बनी रहे क्योंकि किसी भी इन्वेस्टमेंट के अंदर जितनी ज्यादा diversity होती है। उतना ही उसे इन्वेस्टमेंट के अंदर रिस्क कम होता इसलिए इस इन्वेस्टमेंट के अंदर डाइवर्सिटी को ज्यादा रखा ज्यादा रखा जाता है।
ELSS फंड में निवेश पर टैक्स छूट
अगर टैक्स सेवर म्यूचुअल फंड ELSS में निवेश करना चाहते हैं तो पहले कुछ बातों को समझ लेना आपके लिए जरूरी है। ELSS यानी इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम टैक्स बचाने वाली म्यूचुअल फंड स्कीम है, जो लंबी अवधि के निवेश को बढ़ावा देती है। एक वित्त वर्ष में इन योजनाओं में आप 1.5 लाख रु तक निवेश पर इनकम टैक्स एक्ट सेक्शन 80 सी के तहत टैक्स छूट का लाभ उठा सकते हैं।
हालांकि ईएलएसएस में निवेश की कोई लिमिट नहीं है। ELSS में टैक्स बचत के लिए दूसरे परंपरागत निवेश के साधनों मसलन FD, NSC, KVP के मुकाबले बेहतर रिटर्न भी मिल रहा है। पिछले 5 साल की तुलना करें तो ELSS स्कीम में औसत रिटर्न 13 फीसदी रहा है। जबकि अलग अलग फंड का रिटर्न 20 से 24 फीसदी तक रहा है। यानी किसी बड़े बैंक की एफडी की तुलना में करीब 4 गुना तक ज्यादा फायदा।
लॉक–इन अवधि: ELSS में 3 साल की सबसे छोटी लॉक-इन अवधि होती है जो कि सभी टैक्स बचाने वाले निवेश विकल्पों में से बेहतर है। जिसमें FD फिक्स्ड डिपॉजिट, PPF (पब्लिक प्रॉविडेंट फंड), NPS (नेशनल पेंशन सिस्टम), NSC (नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट), आदि शामिल हैं।
उच्च रिटर्न/ लाभ/ लाभ: ELSS में अन्य टैक्स सेविंग निवेश की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक रिटर्न/ लाभ/ लाभ देने की क्षमता होती है। एक ELSS आपको 15% -18% के बीच रिटर्न/ लाभ/ लाभ प्रदान कर सकता है।
टैक्स: आयकर अधिनियम की धारा 80 C के तहत 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट के अलावा ELSS अन्य टैक्स लाभ भी देता है। FD के विपरीत, एक ELSS द्वारा एक साल में प्राप्त 1 लाख रु. तक के रिटर्न/ लाभ पर टैक्स नहीं लगता है।
SIP: ELSS अकेला ऐसा टैक्स सेविंग विकल्प है जो SIP की सुविधा देता है। इस माध्यम से निवेशक न्यूनतम 500 रु. तक की राशि से निवेश शुरू कर सकते हैं।
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ELSS Fund में निवेश के क्या-क्या हैं फायदे?
- ELSS Fund में निवेश से टैक्स छूट मिलती है।
- सबसे कम लॉक-इन पीरियड होता है।
- इक्विटी में निवेश का फायदा मिलता है।
- पारंपरिक इंस्ट्रूमेंट के मुकाबले ज्यादा रिटर्न।
- निवेश के लिए कई कंपनियों के विकल्प हैं।
- घर बैठे एजेंट की मदद से कर सकते हैं निवेश।
- सिर्फ 500 रुपये प्रति माह से कर सकते हैं शुरुआत।
- अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं होती है।
ELSS Fund में कैसे करें निवेश?
ELSS Fund में निवेश से पहले कुछ बातों को जरूर याद रखना चाहिए. पहला, केवल इसलिए ईएलएसएस में निवेश नहीं करें क्योंकि इनमें लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न देने की क्षमता है। आपको ईएलएसएस में सिर्फ तभी पैसा लगाना चाहिए यदि आप इक्विटी स्कीम में निवेश का जोखिम ले सकते हैं।
इन स्कीमों के साथ जोखिम जुड़ा होता है। छोटी अवधि में ये अस्थिर भी हो सकती हैं। बेशक लंबी अवधि में इनमें ज्यादा रिटर्न देने की क्षमता होती है। लेकिन, ईएलएसएस में निवेश का यह एकमात्र पैमाना नहीं होना।
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टॉप 8 ELSS फंड
- Motilal Oswal Long Term Equity Fund
- Aditya Birla Sun Life Tax Relief 96
- L&T Tax Advantage
- Invesco India Tax Plan
- Axis Long Term Equity Fund
- Mirae Asset Tax Saver
- DSP Tax Saver
- Principal Tax Savings Fund
- निवेश के लिए ये हैं सबसे अच्छे टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड ।
- अन्य म्यूचुअल फंड की तरह ही निवेश कर सकते हैं।
- ऑनलाइन डायरेक्ट निवेश किया जा सकता है।
- एजेंट के जरिये ELSS Fund में निवेश भी संभव है।
- SIP के साथ ही एकमुश्त निवेश भी कर सकते हैं।
500 रुपए से शुरू कर सकते हैं निवेश
ELSS में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP या सिप) के जरिए 500 रुपए से भी निवेश की शुरुआत की जा सकती है।
वहीं अधिकतम की कोई सीमा नहीं है। निवेशकों को इन फंड में दो तरह के ऑप्शन मिलते हैं। इनमें पहला है ग्रोथ और दूसरा है डिविडेंड पे आउट। जहां ग्रोथ ऑप्शन में पैसा लगातार स्कीम में रहता है, वहीं डिविडेंड ऑप्शन में कंपनियां समय-समय पर लाभांश के रूप में फायदा बांटती रहती हैं।
डिविडेंड ऑप्शन वाली योजनाओं में साल में एक बार डिविडेंड मिल सकता है। हालांकि कुछ योजनाओं ने तो साल में एक बार से भी ज्यादा डिविडेंड दिया है।
पैसा निकालने पर कोई टैक्स नहीं
सेक्शन 80सी के तहत पैसा लगाने पर टैक्स कम करने का मौका मिल जाता है। लेकिन टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड आपको इसके अलावा भी टैक्स बचाने का मौका देता है।
आमतौर पर कहीं निवेश करके जब आप पैसा को बढ़ाते हैं तो बढ़ी हुई रकम को कमाई मानते हुए उस पर टैक्स लगाया जाता है। लेकिन Tax Saving Mutual Fund के मामले में ऐसा नहीं होता है। इसमें निवेश करके आपका पैसा चाहे जितना बढ़ जाए maturity की रकम को बेफिक्र होकर enjoy कीजिए, कोई पूछने नहीं आएगा।
दरअसल शेयरों में अगर एक साल से ज्यादा समय के लिए निवेश किया जाता है तो मुनाफे पर कोई capital Gains Tax नहीं लगता है। वहीं अगर आपने Fixed Deposit या फिर NSC में पैसा लगाया होता तो ब्याज की रकम पर टैक्स लग जाता।
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लिक्विड फंड क्या है
लिक्विड फंड , डेट फंड की एक कैटेगरी है जो डेट और मनी मार्केट के इंस्ट्रूमेंट्स जैसे कॉमर्शियल पेपर, कॉल मनी, सरकारी सिक्योरिटी, ट्रेजरी बिल वगैरह में निवेश करता है। इसमें 91 दिनों तक की मैच्योरिटी अवधि होती है। लिक्विड फंड में निवेश करने सबसे बड़ा फायदा लिक्विडिटी का है।
डिविडेंड ऑप्शन
लाभांश विकल्प लाभांश भुगतान और लाभांश पुनर्निवेश के दो विकल्पों के साथ आता है। लाभांश भुगतान में, निवेशक को समय-समय पर लाभांश का भुगतान प्राप्त होगा। लाभांश पुनर्निवेश में, भुगतान दोबारा इन्वेस्ट किया जाता है, और इसे टैक्स कटौती के लाभ के साथ नए इन्वेस्टमेंट के रूप में माना जाएगा।
वृद्धि के विकल्प
इस विकल्प में, इसके लाभ के साथ निवेश संचित किया जाता है, और पुनर्निवेश के विकल्प के साथ लॉक-इन अवधि के अंत में निवेशक को कुल राशि का भुगतान किया जाता है।
क्या ELSS इंडेक्सेशन के लाभ के लिए योग्य है?
नहीं, ELSS से कमाए गए रिटर्न/ लाभ पर इंडेक्सेशन का लाभ नहीं मिलता है। इंडेक्सेशन के लाभ के लिए केवल डेट फंड ही योग्य होते हैं। इंडेक्सेशन के लाभ का मतलब है कि आपको मिले रिटर्न/ लाभ पर जब टैक्स लगाया जाएगा तो ये भी सुनिश्चित किया जाएगा की इस दौरान कितनी महंगाई बढ़ी है। और बढ़ी महंगाई के हिसाब से कमाए गए रिटर्न/ लाभ में से कुछ राशि काटकर बची हुई राशि पर टैक्स लगाया जाएगा।
ELSS पर टैक्स कैसे लगाया जाता है?
ELSS निवेश प्रति वर्ष 1.5 लाख रुपये तक टैक्स फ्री होता है। अन्य सभी म्यूचुअल फंडों की तरह, ELSS अपने निवेशकों के लिए दो रूपों में इनकम देता है – डिवीडेंट और कैपिटल गेन्स ( रिडीम मूल्य और खरीद मूल्य के बीच का अंतर)।डिवीडेंट और कैपिटल गेन्स के लिए टैक्स अलग-अलग है।
कैपिटल गेन्स को शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स (1 वर्ष से कम की अवधि) और लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (1 वर्ष और अधिक की होल्डिंग अवधि) में विभाजित किया जा सकता है।
एक ELSS में शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन नहीं होता है क्योंकि यह 3 साल के लॉक-इन के साथ आता है। ELSS पर कमाए लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन पर 10% की दर से टैक्स लगता है लेकिन तब जब वो र 1 लाख रु. से ज़्यादा हो।
डेट फंड में निवेश कैसे करें?
डेट फंड में एसआईपी लंबी अवधि के निवेश की योजना के लिए उचित है। डेट फंड में एसआईपी आरडी और के लिए बेहतर विकल्प हैएफडी। डेट फंड में SIP उन निवेशकों के लिए सुझाया जाता है जो मध्यम निवेश से उच्च जोखिम में ले जा सकते हैं क्योंकि अंतर्निहित निवेश में जोखिम होता है।
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सबसे अच्छा म्यूचुअल फंड कौन सा है?
Mutual Fund: 5 साल में दमदार रिटर्न देने वाले 5 फंड, सिर्फ 500 रुपए लगाकर करें कमाई 1/6. इक्विटी म्यूचुअल फंड (SIP) खासकर नए निवेशकों के लिए इक्विटी म्यूचुअल फंड (SIP) में निवेश करना अच्छा ऑप्शन है. 2/6. SBI स्मॉल कैप फंड 3/6. HDFC स्मॉल कैप फंड 4/6. कोटक स्मॉल कैप फंड 5/6. एक्सिस स्मॉल कैप फंड 6/6. क्वॉन्ट एक्टिव फंड
क्या लिक्विड फण्ड रिस्क फ्री होते हैं?
लिक्विड फण्ड में बहुत ही कम रिस्क की मात्रा होती हैं। यह बांड्स के ब्याज दरों और क्रेडिट रिस्क पर आधारित होती हैं।
क्या लिक्विड फंड्स से जब चाहे पैसा निकाल सकते हैं?
जी हां, आप जब चाहे लिक्विड फण्ड से पैसा निकाल सकते हैं।