आज के लेख में हम बात करने वाले हैं सेंसेक्स क्या होता है? यदि आप शेयर मार्केट में थोड़ी बहुत भी रुचि रखते हैं। तो आपको शेयर मार्केट की कुछ इंर्पोटेंट टर्म्स का नॉलेज होना आवश्यक है।
इन इंर्पोटेंट टर्म्स में से एक है। सेंसेक्स आपने कई बार टीवी चैनल पर, न्यूज़ पेपर पर और लोगों के मुंह से कई बार आपने सेंसेक्स के बारे में सुना है। सेंसेक्स इतने पॉइंट चढ़ गया या सेंसेक्स कितने पॉइंट टूट गया लेकिन इन सब का कोई मतलब नहीं रह जाता जब तक कि आपको यह पता नहीं है। कि सेंसेक्स क्या होता है और कैसे काम करता है।
शेयर बाजार में म्यूचुअल फंड, इक्विटी मार्केट, कमोडिटी मार्केट, निफ़्टी के जैसे ही सेंसेक्स का आज बहुत बड़ा नाम है। सेंसेक्स का नाम शेयर मार्केट में इसलिए सबसे ज्यादा है। क्योंकि यह स्टॉक मार्केट का एक इंडेक्स है। जो कि आपको डेली बाजार के उतार-चढ़ाव के बारे में बताता है।
सेंसेक्स नीचे गिरने पर शेयर मार्केट में नुकसान होता है। और सेंसेक्स ऊपर उठने से शेयर मार्केट में फायदा होता है। यह सुनने के बाद आपके मन में यह सवाल जरूर आता होगा कि सेंसेक्स होता क्या है आखिर सेंसेक्स ऊपर नीचे होने का क्या मतलब है। इस आर्टिकल में हम आपको इन्हीं सभी चीजों के बारे में पूरी जानकारी देंगे।
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सेंसेक्स क्या हैं (What is Sensex)
सेंसेक्स इंडिया के शेयर मार्केट का एक बेंच मार्क इंडेक्स है इसे हिंदी में सूचकांक भी कहते हैं। सेंसेक्स का पूरा नाम है बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) सेंसेक्स को स्टॉक एक्सचेंज सेंसेटिव इंडेक्स के नाम से भी जाना जाता है।
यह इंडिया का सबसे पुराना स्टॉक मार्केट इंडेक्स है। सेंसेक्स की शुरुआत 1986 में मुंबई में हुई थी। जिसमें 30 कंपनियों को शामिल किया गया है। यह 30 कंपनियां Market Capitalization के आधार पर की जाती है।
एक उदाहरण से समझते हैं जिस प्रकार किसी व्यक्ति का ब्लड रिपोर्ट उसके स्वास्थ्य होने का हाल बताता है। उसी प्रकार सेंसेक्स भी पूरे शेयर मार्केट का हाल बताता है। इसलिए सेंसेक्स को भारतीय घरेलू बाजार की नब्ज भी कहा जाता है।
सेंसेक्स का अर्थ
सेंसेक्स का नाम शेयर मार्केट के एक्सपर्ट मिस्टर दीपक मोहिनी द्वारा दिया गया था सेंसेक्स का अर्थ दो शब्दों से मिलकर बना हैं। Sensitive और Index जिसका अर्थ हिंदी में संवेदनशील सूचकांक होता हैं।
सेंसेक्स हमारे भारतीय Stock Market का Bench Mark index है, जो की BSE ( बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) में सूचिबद्ध शेयर्स के भाव में होने वाली तेजी और मंदी को बताता है।
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सेंसेक्स का इतिहास
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को 9 जुलाई 1875 को शुरू किया गया था मुंबई में। BSE के इंडेक्स के रूप में सेंसेक्स की शुरुआत 1 जनवरी 1986 में हुई थी। बीएसई सेंसेक्स का आधार मूल्य 1 अप्रैल 1979 को ₹100 के रूप में लिया गया था जिसका आधार वर्ष 1978-79 हैं।
25 जुलाई 2001 को बीएससी में DULLEX – 30 को भी लांच किया गया जो सेंसेक्स का डॉलर लिंक्ड वर्जन हैं।
सेंसेक्स ने पहली बार 10,000 पॉइंट का आकंड़ा 7 फ़रवरी 2006 को लिया था। इसके बाद सेंसेक्स ने 21 जनवरी 2021 को पहली दफा 50,000 का आकंड़ा भी छू लिया है।
सेंसेक्स कैसे बनता हैं
सेंसेक्स कैसे बनता है इस बारे में बात करेंगे और यह किन लोगों द्वारा बनाए जाते हैं इनके बारे में भी बात करेंगे आइए समझते हैं सेंसेक्स कैसे बनता है।
जैसे कि हम लोग अच्छी तरह से जानते हैं सेंसेक्स मुंबई स्टॉक एक्सचेंज का ही एक हिस्सा है। और सेंसेक्स मुंबई स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड है। सेंसेक्स पर केवल 30 कंपनियों के शेयर्स से मिलकर बना हुआ होता है। जबकि मुंबई स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड है। कुल कंपनियों का जो संख्या है। वह 6000 से भी अधिक है।
- सेंसेक्स को स्टॉक एक्सचेंज की कमेटी बनाती है जिसमें बीएसई के 13 अलग-अलग सेक्टर से टॉप 30 कंपनी को मिलाकर बनाया जाता है।
- जब सेंसेक्स की गणना की जाती है तो उनमें केवल 30 कंपनियां ऐसी होती है जो अपने सेक्टर में सबसे बड़ी मानी जाती है तभी उनके शेयर को शामिल किया जाता है।
- टॉप 30 कंपनियां को शामिल करने के पीछे का कारण यह है कि एक तो इन 30 कंपनियों के शेयर सबसे ज्यादा खरीदे या बेचे जाते हैं। और यह देखा जाता है के 1 साल में इन कंपनियों के शेयर को कितना खरीदा और बेचा गया।
- यह भी एक कारण है 30 कंपनियां जो सबसे बड़ी कंपनियां मानी जाती है। शेयर मार्केट में इनका मार्केट कैप स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड होती है। और इनके सभी शेयर का लगभग आधा होता है जो की एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है।
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सेंसेक्स में कैसे आता है उतार चढ़ाव
आपने अक्सर शेयर मार्केट में देखा होगा कि सेंसेक्स कभी गिरा हुआ (लाल निशान) में नजर आती है। और कभी बढ़ा हुआ (हरे निशान) में नजर आती है। आख़िर सेंसेक्स क्यों गिरता है और बढ़ता है आइए जानते हैं।
एक उदाहरण से समझते हैं सेंसेक्स क्यों गिरता है और बढ़ता है जैसा कि आप लोग जानते हैं सेंसेक्स में कुल 30 कंपनियां होती है और इन कंपनियों के शेयरों के प्रदर्शन पर निर्भर करता है संसेक्स का गिरना और बढ़ना।
मान लीजिए किसी सोमवार को इन कंपनियों की औसतन प्राइस ₹100 थी अब मंगलवार को इनकी कीमत बढ़कर ₹110 हो गई तो सेंसेक्स भी उसी अनुपात में बढ़ेगा वैसे ही अगर बुधवार को हो सकता एवरेज प्राइस घटकर ₹90 रह गई तो संसेक्स पिछले दिन के मुकाबले घट जायेगा सेंसेक्स का मूल्य लगातार ट्रेडिंग डे के दौरान बदलता रहता है।
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सेंसेक्स से कौन-कौन से फायदे होते हैं
सेंसेक्स के क्या फायदे हैं आइए जानते हैं निम्न पॉइंट के माध्यम से
- सच कहें तो सेंसेक्स किसी भी व्यक्ति को कोई फायदा नहीं देता अगर वह व्यक्ति सेंसेक्स किसी सेंसेक्स निवेश किया हो तभी उसे फायदा होता है।
- सेंसेक्स बीएसई की सभी लिस्टेड कंपनियों का संचालक होता है। जिसमें कि हमें पूरी शेयर मार्केट की स्थिति का अंदाजा हो जाता है। जैसे कि बाकी शेयरों का पॉजिटिव नेगेटिव आसानी से हम सेंसेक्स के माध्यम से जान सकते हैं।
- सेंसेक्स का सबसे बड़ा फायदा देश को पहुंचता है सेंसेक्स अगर नई ऊंचाइयों को छूता है। तो देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाती है और एक देश के विकास के लिए यह काफी महत्वपूर्ण होती है।
- जब कोई कंपनी अच्छा परफॉर्मेंस देती है तो उसका शेयर की कीमत बढ़ जाती है दूसरे कंपनी आर्थिक रूप से सशक्त हो जाती है और जब कंपनियों शेयरों की कीमत में उछाल आता है तो सेंसेक्स भी ऊपर चढ़ जाता है।
- सेंसेक्स ऊपर जाने से निवेशकों को भी फायदा पहुंचता है
- सेंसेक्स भारतीय अर्थव्यवस्था को लिक्विडिटी प्रदान करता है।
- सेंसेक्स ने भारत को दुनिया के सामने एक नई पहचान दिलाई है।
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Sensex में कंपनी किस प्रकार सेलेक्ट की जाती हैं
सेंसेक्स में किसी कंपनी को शामिल करने की प्रक्रिया इंडेक्स कमेटी के द्वारा की जाती है। 30 कंपनियों के सिलेक्शन के वक्त जो बात ध्यान रखती है। सेंसेक्स वह इस प्रकार की होती है।
- उस कंपनी के शेयर कम से कम 1 साल या उससे ज्यादा टाइम स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड होनी चाहिए।
- पिछले 1 साल के अंदर जितने दिन भी शेयर बाजार खुला होगा सभी दिनो में उस कंपनी के स्टॉक खरीदा या बेचा जाना जरूरी होता है। तभी वह कंपनी सेंसेक्स में शामिल हो सकती है।
- हर दिन की एक एवरेज ट्रेड की संख्या और वैल्यू के मुताबिक यह कंपनियां देश की सबसे बड़ी 150 कंपनियों में से जरूर लिस्ट शामिल में होनी चाहिए।
- अगर कोई कंपनी सेंसेक्स के निम्नलिखित बातों पर खरा नहीं उतरती है तो उसे सेंसेक्स से बाहर कर दिया जाता है। और उसकी जगह कोई दूसरी कंपनी को शामिल कर लिया जाता है जो अच्छा प्रदर्शन कर रही है मार्केट में।
अधिक जानकारी के लिए पढ़े : सेंसेक्स क्या होता हैं
सेंसेक्स क्या होता है से संबंधित प्रश्न और उत्तर
बीएसई क्या है
बीएसई का पूरा नाम मुंबई स्टॉक एक्सचेंज है। इसकी शुरुआत 9 जुलाई 875 में हुई थी और यह स्टॉक एक्सचेंज मुंबई में है। इस स्टॉक एक्सचेंज में भारत की सभी बड़ी कंपनियां लिस्टेड है।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की पहुँच भारत के 420 शहरों तक है। यह स्टॉक एक्सचेंज भारत की ही नहीं बल्कि दुनिया की 10वां सबसे बड़ी स्टॉक एक्सचेंज है।
सेंसेक्स का अर्थ
Sensex शब्द की शुरुआत दीपक मोहोनि द्वारा की गयी थी। यह शब्द sensitive और index शब्दों से मिल कर बना हुआ है। जिसका अर्थ हिंदी में संवेदनशील सूचकांक होता हैं।
फ्री फ्लोट फैक्टर क्या है?
फ्री फ्लोट फैक्टर यह होता है कंपनी द्वारा जारी किए गए कुल शेयरों का वह हिस्सा है। जो बाजार में ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध होता है। जैसे कि किसी कंपनी xyz के 100 शेयरों में 40 शेयर सरकार और प्रमोटर के पास हैं, तो बाकी 60 फीसदी ही ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध होंगे। यानी इस कंपनी का फ्री फ्लोट फैक्टर 60 फीसदी हुआ.मतलब 60 फीसदी शेयर जनता के लिए होता है।
Market Capitalization की गणना कैसे होती है?
मार्केट कैपिटलाइजेशन किसी कंपनी के आउटस्टैंडिंग शेयरों के मूल्य को दिखाता है। शेयर की खरीद-फरोख्त के साथ कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन बढ़ता-घटता रहता है। आउटस्टैंडिंग शेयर का मतलब उन सभी शेयरों से है जो कंपनी ने जारी किए हैं। यानी जो बाजार में ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध हैं। इस तरह मार्केट कैपिटलाइजेशन किसी कंपनी का कुल मूल्य होता है।
Market Capitalization की गणना इस प्रकार की जाती है। 10 लाख ×3000 = 300 करोड़ रुपए। अब अगर इसी कंपनी के शेयर के दाम बढकर 5000 रुपए प्रति शेयर हो जाते हैं तो फिर उसका मार्केट कैप हो जाएगा। 10 लाख ×5000 = 500 करोड़ रुपए।
सेंसेक्स गिरावट कब आती हैं?
सेंसेक्स (Sensex) के अंतर्गत आने वाली कंपनियों के शेयरों में आए उतार-चढ़ाव पर नजर रखता है। अगर बाजार में शेयरों के मूल्य बढ़ रहे हैं तो सेंसेक्स (Sensex) बढ़ जाता है। अगर बाजार में शेयरों के मूल्य (Shares Price) गिर रहे हैं, तो सेंसेक्स (Sensex) गिर जाता है।
सेंसेक्स क्यों बढ़ता हैं?
सेंसेक्स के अंतर्गत आने वाली कंपनियों के शेयरों में आए उतार-चढ़ाव पर नजर रखता है। बाजार में कोई नया, बड़ा, हिट प्रोजेक्ट लांच किया, तो कंपनी के शेयरों के दाम (Shares Price) बढ़ जाते हैं।
सेंसेक्स में हरे और लाल निशान का क्या अर्थ हैं?
सेंसेक्स में लाल निशान का अर्थ होता है। शेयर मार्केट का गिरना माना जाता है। और ग्रीन निशान का अर्थ होता है। सेंसेक्स में शेयर मार्केट का ऊपर उठना माना जाता है।
भारत में स्टॉक एक्सचेंज कितने हैं?
भारत में पहले 24 स्टॉक एक्सचेंज हुआ करता था लेकिन अब 23 हो गई है।
भारत का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज कौन सा है?
भारत का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज बीएससी है भारत का ऐसा पहला स्टॉक एक्सचेंज है, जिसने भारत सरकार के सिक्योरिटीज कॉंट्रैक्ट्स( विनियमन) कानून 1956 के तहत स्थायी मान्यता प्राप्त की।
मुंबई स्टॉक एक्सचेंज के चेयरमैन कौन है?
मुंबई स्टॉक एक्सचेंज के चेयरमैन का नाम है Ashishkumar Chauhan (MD & CEO)
निष्कर्ष
सेंसेक्स शेयर बाजार में बहुत मायने रखता है भारतीय शेयर बाजार में सेंसेक्स गति प्रदान करता है शेयर के बारे में जानकारी देता है इसके साथ ही यह आपको दूसरे शेयरों के चाल के बारे में भी बताता है।
अगर आप निवेशक है तो आपको सेंसेक्स के बारे में सही जानकारी लेनी चाहिए जिससे कि आप अपने शेयरों को सही तरीके से एनालाइज कर सके और आपको शेयर बाजार में कोई नुकसान न उठाना पड़े।
दोस्तों आज के आर्टिकल में हमने बात किया सेंसेक्स क्या है। और सेंसेक्स के बारे में पूरी जानकारी देने की कोशिश किया है। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो आप इसे सोशल मीडिया नेटवर्क पर जरूर शेयर करें और अपने दोस्तों से भी कहे और आपके पास कोई सवाल हो तो आप हमें कमेंट बॉक्स के माध्यम से पूछ सकते हैं उसका जरूर रिप्लाई देंगे ।